शेयर बाजार हुआ धड़ाम, आधे घंटे में निवेशकों को हुआ 4.36 लाख करोड़ रुपये का नुकसान

भारतीय शेयर बाजार में हाल ही में भारी गिरावट देखी गई, जहां सेंसेक्स में सिर्फ आधे घंटे के भीतर ही 700 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट की वजह से निवेशकों को 4.36 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के नतीजों की अनिश्चितता और बढ़ती महंगाई के आंकड़ों ने सोमवार सुबह शेयर बाजार को झकझोर दिया। महज आधे घंटे के भीतर ही बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली, जिसके परिणामस्वरूप निवेशकों को 4.36 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान झेलना पड़ा।

सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट

बीएसई सेंसेक्स, जो भारतीय शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक है, 700 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज करते हुए 58,500 अंक से नीचे आ गया। वहीं, निफ्टी 50 भी 22,000 अंकों के नीचे गिर गया।

इन शेयरों में आई भारी गिरावट

टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, मारुति सुजुकी, एनटीपीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे प्रमुख शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली। इन शेयरों में गिरावट के चलते ही बाजार में भारी नुकसान हुआ।

17 करोड़ निवेशकों को नुकसान

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस गिरावट की वजह से शेयर बाजार के 17 करोड़ से अधिक निवेशकों को आधे घंटे में 4.36 लाख करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा।

बाजार में क्या है मौजूदा स्थिति?

मौजूदा समय में शेयर बाजार में भारी अस्थिरता देखने को मिल रही है। निवेशकों में चिंता का माहौल है और वे बाजार से दूरी बना रहे हैं। आने वाले दिनों में बाजार में क्या रुझान देखने को मिलेंगे, यह अभी देखना बाकी है।

शेयर बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण

जैसा कि हमने बताया, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन कुछ प्रमुख कारक इसे और ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं:

  • आर्थिक नीतियों में बदलाव: सरकार द्वारा आर्थिक नीतियों में बदलाव, जैसे करों में वृद्धि या सब्सिडी में कटौती, शेयर बाजार को प्रभावित कर सकता है। निवेशक नई नीतियों के आर्थिक प्रभाव का आकलन करते हैं और इससे अनिश्चितता का माहौल बन सकता है, जिससे बाजार में गिरावट आती है।
  • विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली: विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) बड़ी मात्रा में शेयरों की खरीद-फरोख्त करते हैं। अगर किसी कारणवश वे भारतीय बाजार से बड़ी मात्रा में पूंजी निकाल लेते हैं, तो इससे मांग और पूर्ति में असंतुलन पैदा हो जाता है। मांग कम होने से शेयरों के दाम गिर जाते हैं, जिससे बाजार में गिरावट आती है।
  • कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन में गिरावट: अगर किसी कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन खराब रहता है या भविष्य में उसके प्रदर्शन के बारे में नकारात्मक संकेत मिलते हैं, तो निवेशक उस कंपनी के शेयरों को बेचना शुरू कर देते हैं। इससे उस कंपनी के शेयरों की कीमत कम हो जाती है, जो पूरे बाजार को प्रभावित कर सकता है।
  • अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का प्रभाव: वैश्विक स्तर पर होने वाली घटनाएं, जैसे युद्ध, राजनीतिक अस्थिरता या प्राकृतिक आपदाएं, भारतीय शेयर बाजार को भी प्रभावित कर सकती हैं। इन घटनाओं से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ता है।
विशेषज्ञों की सलाह

विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को इस समय धैर्य रखना चाहिए और घबराकर बाजार से बाहर नहीं निकलना चाहिए। लंबी अवधि के लिए निवेशकों को अपनी रणनीति में बदलाव किए बिना धैर्यपूर्वक बाजार में बने रहने की सलाह दी जा रही है।

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